धनतेरस के फायदे
इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर यानी आज है। सनातन मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन खरीदारी करना शुभ माना गया है। इस दिन खरीदारी करने से घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि आती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी बना रहता है। इस दिन खरीदारी करने से सालभर घर में खरीदी गईं चीजें शुभ फल देती हैं।
धनतेरस (Dhanteras) कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है. इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन जो कुछ भी खरीदा जाता है उसमें लाभ होता है. धन संपदा में इजाफा होता है. धनतेरस (Dhanteras) के दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है.
शुभ मुहूर्त और टाइम
शुक्रवार, 25 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras) मनाई जाएगी. धनतेरस के दिन लक्ष्मी के साथ धन्वन्तरि की पूजा की जाती है. मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुंद्र मंथन से धन्वन्तरि प्रकट हुए. धन्वन्तरी के हाथों में अमृत से भरा कलश था.
संत रामपाल जी महाराज की भक्ति विधि के अनुसार धनतेरस क्या है और इसके फायदे-
#रामभजन_बिन_कैसीदिवाली
फिजूलखर्ची और शास्त्र विरुद्ध परंपराओं को त्याग कर एक राम नाम की दिवाली मनाओ। वास्तविक सुख इसी में निहित है
यदि आप जी को इस लोक में होने वाले दुःखों से बचाव करना है तो यहां के प्रभु काल से परम शक्ति युक्त परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) की शरण लेनी पड़ेगी। जिस परमेश्वर का खौफ काल प्रभु को भी है। जिस के डर से यह उपरोक्त कष्ट उस जीव को नहीं दे सकता जो पूर्ण परमात्मा अर्थात् परम अक्षर ब्रह्म (सत्य पुरूष) की शरण पूर्ण सन्त के बताए मार्ग से ग्रहण करता है। वह जब तक संसार में भक्ति करता रहेगा, उसको उपरोक्त कष्ट आजीवन नहीं होते। जो व्यक्ति इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ को पढ़ेगा उसको ज्ञान हो जाएगा कि हम अपने निज घर को भूल गए हैं।
वह परम शांति व सुख यहां न होकर निज घर सतलोक में है जहां पर न जन्म है, न मृत्यु है, न बुढ़ापा, न दुःख, न कोई लड़ाई-झगड़ा है, न कोई बिमारी है, न पैसे का कोई लेन-देन है, न मनोरंजन के साधन खरीदना है। वहां पर सब परमात्मा द्वारा निःशुल्क व अखण्ड है।
जगत गुरु रामपाल जी (En)
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संत रामपाल जी महाराज का सर्व को संदेश
Spiritual Leader Saint Rampal Ji
संत रामपाल जी महाराज का सर्व को संदेश
भूमिका
अनादि काल से ही मानव परम शांति, सुख व अमृत्व की खोज में लगा हुआ है। वह अपने सामर्थ्य सामर्थ्य के अनुसार प्रयत्न करता आ रहा है लेकिन उसकी यह चाहत कभी पूर्ण नहीं हो पा रही है। ऐसा इसलिए है कि उसे इस चाहत को प्राप्त करने के मार्ग का पूर्ण ज्ञान नहीं है। सभी प्राणी चाहते हैं कि कोई कार्य न करना पड़े, खाने को स्वादिष्ट भोजन मिले, पहनने को सुन्दर वस्त्र मिलें, रहने को आलीशान भवन हों, घूमने के लिए सुन्दर पार्क हों, मनोरंजन करने के लिए मधुर-2 संगीत हों, नांचे-गांए, खेलें-कूदें, मौज-मस्ती मनांए और कभी बीमार न हों, कभी बूढ़े न हों और कभी मृत्यु न होवे आदि-2, परंतु जिस संसार में हम रह रहे हैं यहां न तो ऐसा कहीं पर नजर आता है और न ही ऐसा संभव है। क्योंकि यह लोक नाशवान है, इस लोक की हर वस्तु भी नाशवान है और इस लोक का राजा ब्रह्म काल है जो एक लाख मानव सूक्ष्म शरीर खाता है। उसने सब प्राणियों को कर्म-भर्म व पाप-पुण्य रूपी जाल में उलझा कर तीन लोक के पिंजरे में कैद किए हुए है। कबीर साहेब कहते हैं कि :--
कबीर, तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल।
सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल।।
गरीब, एक पापी एक पुन्यी आया, एक है सूम दलेल रे।
बिना भजन कोई काम नहीं आवै, सब है जम की जेल रे।।
वह नहीं चाहता कि कोई प्राणी इस पिंजरे रूपी कैद से बाहर निकल जाए। वह यह भी नहीं चाहता कि जीव आत्मा को अपने निज घर सतलोक का पता चले। इसलिए वह अपनी त्रिगुणी माया से हर जीव को भ्रमित किए हुए है। फिर मानव को ये उपरोक्त चाहत कहां से उत्पन्न हुई है? यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां हम सबने मरना है, सब दुःखी व अशांत हैं। जिस स्थिति को हम यहां प्राप्त करना चाहते हैं ऐसी स्थिति में हम अपने निज घर सतलोक में रहते थे। काल ब्रह्म के लोक में स्व इच्छा से आकर फंस गए और अपने निज घर का रास्ता भूल गए। कबीर साहेब कहते हैं कि -
इच्छा रूपी खेलन आया, तातैं सुख सागर नहीं पाया।
इस काल ब्रह्म के लोक में शांति व सुख का नामोनिशान भी नहीं है। त्रिगुणी माया से उत्पन्न काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, राग-द्वेष, हर्ष-शोक, लाभ-हानि, मान-बड़ाई रूपी अवगुण हर जीव को परेशान किए हुए हैं। यहां एक जीव दूसरे जीव को मार कर खा जाता है, शोषण करता है, ईज्जत लूट लेता है, धन लूट लेता है, शांति छीन लेता है। यहां पर चारों तरफ आग लगी है। यदि आप शांति से रहना चाहोगे तो दूसरे आपको नहीं रहने देंगे। आपके न चाहते हुए भी चोर चोरी कर ले जाता है, डाकू डाका डाल ले जाता है, दुर्घटना घट जाती है, किसान की फसल खराब हो जाती है, व्यापारी का व्यापार ठप्प हो जाता है, राजा का राज छीन लिया जाता है, स्वस्थ शरीर में बीमारी लग जाती है अर्थात् यहां पर कोई भी वस्तु सुरक्षित नहीं। राजाओं के राज, ईज्जतदार की ईज्जत, धनवान का धन, ताकतवर की ताकत और यहां तक की हम सभी के शरीर भी अचानक छीन लिए जाते हैं। माता-पिता के सामने जवान बेटा-बेटी मर जाते हैं, दूध पीते बच्चों को रोते-बिलखते छोड़ कर मात-पिता मर जाते हैं, जवान बहनें विधवा हो जाती हैं और पहाड़ से दुःखों को भोगने को मजबूर होते हैं। विचार करें कि क्या यह स्थान रहने के लायक है ? लेकिन हम मजबूरी वश यहां रह रहे हैं क्योंकि इस काल के पिंजरे से बाहर निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता और हमें दूसरों को दुःखी करने की व दुःख सहने की आदत सी बन गई। यदि आप जी को इस लोक में होने वाले दुःखों से बचाव करना है तो यहां के प्रभु काल से परम शक्ति युक्त परमेश्वर (परम अक्षर ब्रह्म) की शरण लेनी पड़ेगी। जिस परमेश्वर का खौफ काल प्रभु को भी है। जिस के डर से यह उपरोक्त कष्ट उस जीव को नहीं दे सकता जो पूर्ण परमात्मा अर्थात् परम अक्षर ब्रह्म (सत्य पुरूष) की शरण पूर्ण सन्त के बताए मार्ग से ग्रहण करता है। वह जब तक संसार में भक्ति करता रहेगा, उसको उपरोक्त कष्ट आजीवन नहीं होते। जो व्यक्ति इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ को पढ़ेगा उसको ज्ञान हो जाएगा कि हम अपने निज घर को भूल गए हैं। वह परम शांति व सुख यहां न होकर निज घर सतलोक में है जहां पर न जन्म है, न मृत्यु है, न बुढ़ापा, न दुःख, न कोई लड़ाई-झगड़ा है, न कोई बिमारी है, न पैसे का कोई लेन-देन है, न मनोरंजन के साधन खरीदना है। वहां पर सब परमात्मा द्वारा निःशुल्क व अखण्ड है।
बिन ही मुख सारंग राग सुन, बिन ही तंती तार। बिना सुर अलगोजे बजैं, नगर नांच घुमार।।
घण्टा बाजै ताल नग, मंजीरे डफ झांझ। मूरली मधुर सुहावनी, निसबासर और सांझ।।
बीन बिहंगम बाजहिं, तरक तम्बूरे तीर। राग खण्ड नहीं होत है, बंध्या रहत समीर।।
तरक नहीं तोरा नहीं, नांही कशीस कबाब। अमृत प्याले मध पीवैं, ज्यों भाटी चवैं शराब।।
मतवाले मस्तानपुर, गली-2 गुलजार। संख शराबी फिरत हैं, चलो तास बजार।।
संख-संख पत्नी नाचैं, गावैं शब्द सुभान। चंद्र बदन सूरजमुखी, नांही मान गुमान।।
संख हिंडोले नूर नग, झूलैं संत हजूर। तख्त धनी के पास कर, ऐसा मुलक जहूर।।
नदी नाव नाले बगैं, छूटैं फुहारे सुन्न। भरे होद सरवर सदा, नहीं पाप नहीं पुण्य।।
ना कोई भिक्षुक दान दे, ना कोई हार व्यवहार। ना कोई जन्मे मरे, ऐसा देश हमार।।
जहां संखों लहर मेहर की उपजैं, कहर जहां नहीं कोई।
दासगरीब अचल अविनाशी, सुख का सागर सोई।।
सतलोक में केवल एक रस परम शांति व सुख है। जब तक हम सतलोक में नहीं जाएंगे तब तक हम परमशांति, सुख व अमृत्व को प्राप्त नहीं कर सकते। सतलोक में जाना तभी संभव है जब हम पूर्ण संत से उपदेश लेकर पूर्ण परमात्मा की आजीवन भक्ति करते रहें। इस पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा’’ के माध्यम से जो हम संदेश देना चाहते हैं उसमें किसी देवी-देवता व धर्म की बुराई न करके सर्व पवित्र धर्म ग्रंथों में छुपे गूढ रहस्य को उजागर करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताना चाहा है जो कि वर्तमान के सर्व संत, महंत व आचार्य गुरु साहेबान शास्त्रों में छिपे गूढ रहस्य को समझ नहीं पाए। परम पूज्य कबीर साहेब अपनी वाणी में कहते हैं कि - ‘वेद कतेब झूठे ना भाई, झूठे हैं सो समझे नांही।
जिस कारण भक्त समाज को अपार हानि हो रही है। सब अपने अनुमान से व झूठे गुरुओं द्वारा बताई गई शास्त्र विरूद्ध साधना करते हैं। जिससे न मानसिक शांति मिलती है और न ही शारीरिक सुख, न ही घर व कारोबार में लाभ होता है और न ही परमेश्वर का साक्षात्कार होता है और न ही मोक्ष प्राप्ति होती है।
यह सब सुख कैसे मिले तथा यह जानने के लिए कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, क्यों जन्म लेता हूं, क्यों मरता हूं और क्यों दुःख भोगता हूं ? आखिर यह सब कौन करवा रहा है और परमेश्वर कौन है, कैसा है, कहां है तथा कैसे मिलेगा और ब्रह्मा, विष्णु और शिव के माता-पिता कौन हैं और किस प्रकार से काल ब्रह्म की जेल से छुटकारा पाकर अपने निज घर (सतलोक) में वापिस जा सकते हैं। यह सब इस पुस्तक के माध्यम से दर्शाया गया है ताकि इसे पढ़कर आम भक्तात्मा का कल्याण संभव हो सके। यह पुस्तक सतगुरु रामपाल जी महाराज के प्रवचनों का संग्रह है जो कि सद्ग्रन्थों में लिखे तथ्यों पर आधारित है। हमें पूर्ण विश्वास है कि जो पाठकजन रूची व निष्पक्ष भाव से पढ़ कर अनुसरण करेगा। उसका कल्याण संभव है:-
आत्म प्राण उद्धार ही, ऐसा धर्म नहीं और। कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर।।“
जीव उद्धार परम पुण्य, ऐसा कर्म नहीं और। मरूस्थल के मृग ज्यों, सब मर गये दौर-दौर।।
👉संत रामपाल जी महाराज की शरण में सर्व सुख एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है और हमारे सभी मन की इच्छा की पूर्ति होती हैं और अधिक जानकारी के लिए देखें हमारी इस वेबसाइट पर क्लिक करें 👇👇👇👇
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