आत्महत्या
आत्महत्या क्या है-
मौजूदा दौर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण तनाव है। इन दिनों व्यक्ति जितना तनावग्रस्त है, वैसी स्थिति अतीत में पहले कभी नहीं थी। लोगों की तेजी से बदलती जीवनशैली, रहन-सहन और भौतिक वस्तुओं के प्रति अत्यधिक आकर्षण, पारिवारिक विघटन और बढ़ती बेरोजगारी और धन-दौलत को ही सर्वस्व समझने की प्रवृत्ति के कारण आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
आत्महत्या करने के कारण क्या हैं और ऐसी गंभीर समस्या का समाधान क्या है...
डिप्रेशन-
दुख की स्थिति अवसाद या डिप्रेशन नहीं है। डिप्रेशन में पीड़ित व्यक्ति में काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है। पीड़ित व्यक्ति के मन में हीन भावना व्याप्त हो जाती है। व्यक्ति को यह महसूस होता है कि जीवन जीने से कोई फायदा नहीं है। वह हताश और असहाय महसूस करता है। ऐसी दशा में पीड़ित शख्स आत्महत्या की कोशिश कर सकता है।
आपाधापी भरी जीवनशैली-
आज की जीवनशैली तनावपूर्ण हो गई है। लोगों के पास काम की अधिकता है और वे समुचित रूप से विश्राम नहींकर पा रहे हैं। ऐसे परिवारों की संख्या काफी बड़ी है, जहां शांति नहींहै। घरों में माहौल खराब है। यह स्थिति व्यक्ति को परेशानी की स्थिति में आत्महत्या के विचार को पनपाने में मदद करती है।
सोशल मीडिया का प्रभाव-
इन दिनों सोशल और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर जो दिखाया जा रहा है, वह भी तमाम लोगों के दिमाग पर गलत असर छोड़ रहा है। जो दुनिया जिन लोगों ने देखी नहीं है, उसे भी देखने की इच्छा लोगों में बलवती होती जा रही है। जैसे मैंने लंदन नहींदेखा है तो क्यों न वहां हो आऊं। मेरे पास भी शर्मा जी की तरह शानदार कार होनी चाहिए। इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोग ऋण ले रहे हैं और आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। ये स्थितियां डिप्रेशन से ग्रस्त कर सकती हैं।
असामान्य मनोदशा-
यह सही है कि आत्महत्या या इसका प्रयास करने वाला शख्स किसी को बताकर आत्महत्या या इसका प्रयास नहीं करता, लेकिन आत्महत्या की बात सोचने वाले व्यक्ति की मनोदशा असामान्य हो जाती है। वह डिप्रेशन में जा सकता है। परिजनों और लोगों से कटा-कटा महसूस करता है, हताश महसूस करता है और उसके दिमाग में नकारात्मक विचार मंडराते रहते हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के परिजनों को सजग हो जाना चाहिए। उन्हें रोगी के साथ हमदर्दी रखनी चाहिए।
आत्महत्या रोकने के उपाय-
जब मनुष्य को ज्ञान हो जाता है कि मानव जीवन बहुत ही अनमोल होता है जैसे कबीर वचन-
मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले ना बारंबार। तरुवर से पता टूट गिरे, बहुर ना लगता डार।
आत्महत्या-तनाव जैसे विचारों से बचने के लिए आवश्यक में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन
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