पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण
प्रस्तावना-
पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या है |धरती के प्राणियों एवं वनस्पतियों को स्वस्थ व जीवित रहने के लिए हमारे पर्यावरण का स्वच्छ रहना अति आवश्यक है ,किन्तु मानव द्वारा स्वार्थ सिद्धि हेतु प्रकृति का इस प्रकार से दोहन किया जा रहा है कि हमारा पर्यावरण दूषित हो चला है और आज पर्यावरण प्रदूषण भारत ही नही ,बल्कि विश्व की एक गंभीर समस्या बन गई है |
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है-गंदगी । वह गंदगी जो हमारे चारों ओर फैल गई है और जिसकी गिरफ्त में पृथ्वी के सभी निवासी हैं प्रदूषण को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये तीनों ही प्रकार के प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
वाहनों के परिवहन की वजह से शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। वाहनो, फैक्टरियों और उद्योगो से निकलने वाले धुएं शहरों में स्वच्छ हवा को प्रभावित कर रहे है जो की सांस लेने के लिए उचित नहीं है | बड़े सीवेज सिस्टम से गन्दा पानी, घरों से अन्य कचरा, कारखानों और उद्योगों से उपोत्पाद, सीधे नदियों, झीलों और महासागरों को मिल रहें हैं।
शहरों में अधिकांश लोग सिर्फ अपने छड़ीक खुशी के लिए जन्मदिन, विवाह या अन्य अवसरों के दौरान काफी हद तक शोर प्रदूषण फैलाते हैं। वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से शहरों में सभी सड़के दिन भर यातायात के पूर्ण होते जा रहे हैं जो की वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण के कारण हैं।
वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|
जल प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है जो सीधे समुद्री जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि वे अपने उत्तरजीविता के लिए केवल पानी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों पर निर्भर रहते हैं। धीरे-धीरे समुद्री जीवन का ग़ायब होना वास्तव में मनुष्य और जानवरों की आजीविका पर असर डालेगा। कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना ही जल को दूषित करने का कारण है। दूषित पानी पीना गंभीर स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न करता है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय-
जलाशयों में प्रदूषित जल का शुद्धिकरण होना चाहिए । कोयला तथा पेट्रोलियम पदार्थों का प्रयोग घटा कर सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी, एल.पी.जी, जल-विद्युत जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का अधिकाधिक दोहन करना चाहिए । हमें जंगलों को कटने से बचाना चाहिए तथा रिहायशी क्षेत्रों में नए पेड़ लगाने चाहिए ।
आधुनिक युग में पर्यावरण प्रदूषण जैसी भयंकर बीमारी से छुटकारा हमें साधु संतों के द्वारा दी गई भक्ति-विधि व नशा, पान, घुटका, हुक्का को छोड़ने से होगा ।
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